पितृसत्ता पर शायरी के मेरे इस ब्लॉग में पितृसत्तात्मकता जैसे अन्यायकारक सामाजिक व्यवस्था पर विचार करने पर मजबूर कराती कविताएं है। इस व्यवस्था में महिलाओं की तुलना में पुरुषों को अधिक महत्व दिया जाता है। इससे महिलाओं का शोषण और उत्पीड़न होता है। यह व्यवस्था स्त्रियों के विकास का मार्ग अवरुद्ध करती है।

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पितृसत्ता पर शायरी

75 पितृसत्ता पर शायरी, कोट्स, स्टेट्स, पोएट्री

पितृसत्तात्मक व्यवस्था है लोकतांत्रिक मूल्यों के विपरित यह दर्शाती शायरी

1.

पितृसत्ता की लड़ाई हमेशा के लिए बंद होनी चाहिए,

लड़ाई बेवजह ,बेफिजूल वर्चस्व की बंद होनी चाहिए ।

2.

पितृसत्ता पर लड़कर ना नीचे खुद को दिखाओ,

नारियों को उनके हक देकर ऊँचा ऊपर उठो ।

3.

पितृसत्ता को मोहरा बनाकर ना हक छिनो,

दूसरों का हक छीनकर ना खुद उपर उठो।

4.

पितृसत्तात्मक व्यवस्था के विरुद्ध हो टकराव सीधा,

जब ना हक दिया ना घर दिया ना जमीन हो दिया ।

5.

लड़कियों के साथ भेदभाव किसलिए,

पितृसत्तात्मक सोच अब तक किसलिए ।

6.

पितृसत्तात्मक बेड़ियों को अब तोड़ना होगा,

पितृसत्तात्मक सोच को आजाद करना होगा ।

7.

आजादी के इतने साल बाद भी कहां चूक हुयी,

 जो पितृसत्तात्मक,रूढ़िवादी सोच नहीं बदली ।

8.

पितृसत्तात्मक सोच जब तक कायम रहेंगे,

सारे अधिकार उनके सीमित किए जाएंगे ।

9.

पुरुष प्रधान सामाजिक व्यवस्था पितृसत्ता दर्शाती,

नहीं होना चाहिए कोई भेदभाव पर भेदभाव दर्शाती।

10.

पितृसत्ता नहीं है ना होगी कभी जायज

इससे भेदभाव का एहसास होता कायम ।

11.

पितृसत्तात्मक व्यवस्था के खिलाफ लड़ाई कब तकना,

मिले समानता का अधिकार हो लड़ाई तब तक।

12.

पितृसत्तात्मक बेड़ियों को तोडना बाकी क्यूँ?

स्त्रियों ने पहचान बनाई अब फिर ज़रूरी क्यूँ?

13.

जितना मस्तिष्क स्त्री के पास उतना ही पुरुष के पास,

दोनों बराबर ही सोच पाते फिर भी ये भेदभाव क्यूँ?

14.

हमारे निर्णय, हमारे मन मस्तिष्क पर ना शक करो,

अब तो पितृसत्तात्मक सोच से बाहर आ जाओ ।

15.

औरतों ने खुद पितृसत्तात्मकता के खिलाफ आवाज

उठानी शुरू की तो अवश्य ये लड़ाई खत्म हो जाएगी ।

16.

जानते है औरत सब काम कर सकती,

फिर पितृसत्तात्मक सोच क्यूँ है दिखती ।

17.

पुरुषों में हम ही सर्वश्रेष्ट का अहंकार,

पितृसत्तात्मकता को जिंदा रखे हुए हैं ।

18.

ना अहम में जियो ना वहम में जियो,

पितृसत्तात्मकता छोड़ स्वयम में जियो ।

19.

दकियानूसी रुढ़िवादी सोच को हम तोड़ेंगे,

पितृसत्तात्मकता की जिद को अधिकार में बदलेंगे ।

20.

छीनकर लेंगे हम हमारे अधिकार अपने आप,

ना डरों तुम्हारे अधिकार पर हम ना छिनेंगे जनाब ।

21.

ना चाहिए पितृसत्ता ना चाहिए मातृसत्ता,

जो इंसान को इंसान समझे ऐसी हो सत्ता ।

22.

पितृसत्तात्मकता जरूरी नहीं अब दुनियां को बताना, 

इन रुढ़िवादी विचारों से नई पीढ़ी को दूर होगा रखना ।

23.

घमंड ना करो कभी किसी भी बात का,

क्या महिलाओं को शोषित करते हो इस बात का ।

24.

पितृसत्तात्मकता की दुनियां में आदमी नहीं रोते

भावनाओं को गुस्से में बदलकर मर्दानगी दिखाते ।

25.

पितृसत्ता का जोर दिखाकर शासन ना करना

नारी न रहीं सतयुग की कोई अब जोर ना दिखाना ।

26.

इक्कीसवी सदी की हम नारी

अब हम पितृसत्तात्मकता पर भारी ।

27.

साथ मिलकर पितृसत्तात्मकता को जड़ से मिटाओ,

नारी को कमजोर समझना अब बिल्कुल ही भूल जाओ।

28.

खुद पर ना करो इतना घमंड गुरूर

नारी को ना समझना कमजोर हुजूर ।

29.

सत्ता का मोह कभी ना रखो,

खुद को धर्माधिकारी ना कहो ।

30.

रोक टोक ना पाबंदियों से तुम किसी को जकड़ो,

अपने दृढ़ अपने अहम को ना कभी कसके पकड़ो ।

31.

घर आँगन के दायरों में ना औरतों को बांधो,

आजादी छीनकर ना झूठे ढकोसलों मेँ धकेलों ।

32.

पितृसत्ता एक भयानक सामाजिक रोग

वर्चस्व की लड़ाई वाला एक वंशवादी रोग ।

33.

पितृसत्तात्मक सोच में झलके पुरुषों की लाचारी,

इस सोच से समाज को होता नुकसान बहुत भारी ।

34.

स्त्री अधिकारों का ना करो पितृसत्तात्मकता से हनन,

कुंठित सोच पर समाज अब करे विचार विमर्श गहन।

35.

पितृसत्ता कुछ नहीं हम में है दम का सिर्फ अहम,

पितृसत्ता का एक ही काम सिर्फ दमन दमन दमन ।

36.

पितृसत्तात्मक सोच के चलते घर के निर्णय लेने की,

Female को आजादी नहीं ये बिल्कुल नहीं सही ।

37.

पितृसत्तात्मक सोच रखने वाले यह भूल जाते हैं,

बचपन से लेकर अब तक किसने लायक है बनाया ।

38.

पितृसत्ता की त्रासदी हमारे समाज की ओछी,

मानसिकता पर सोचने को मजबूर कर देती ।

39.

पितृसत्तात्मक सोच रखने वाले लोगों को,

रुढ़िवादी सोच वाली नारियां पसंद है आती ।

40.

तत्कालीन समाज की यह भी एक बड़ी त्रासदी, 

पसंद शिक्षित नारी पर बाते ना करे समझदारी भरी ।

41.

नारी को आजादी दी सब कुछ दिया कहते हो,

पितृसत्तात्मकता सोच का क्या किया ये कहो ।

42.

नारियां ललकार रहीं सदियों की रीत को तोड़ दो,

ना डरों हमारे अधिकारों से बेवजह की जिद छोड़ दो ।

43.

पितृसत्तात्मक सोच से कुछ न भला होने वाला,

पितृसत्तात्मकता को जिंदा रखना डर बस तुम्हारा ।

44.

पितृसत्ता के खिलाफ कब से उठ रहीं आवाज,

 बस बहुत हो चुका सारी सुन ली अब तक बात ।

45.

आदमी तुम घमंड ना करो अपनी जात का,

पुरुष बन शोषित करते हो क्यों इस बात का ।

46.

खुद को मजबूत औरतों को मजबूर ना समझो,

तुम इंसान वो भी इंसान बस इतनी सी बात जानो ।

47.

पितृसत्ता के सहारे उन पर शासन की ना सोचो,

सतयुग की नहीं नारी आज की नारी ये तुम जानों ।

48.

पितृसत्तात्मकता की सोच को बदल दो,

नर नारी सम समान इस सत्य को स्वीकार लो ।

49.

पितृसत्तात्मक सोच का अब सिंहासन ढहा दो,

बहुत हुआ अब भी ना तुम विराजमान रहो ।

50.

बहुत हुआ पितृसत्तात्मकता से बाहर निकलो,

आँखे खोलो पुरानी रुढ़िवादी सोच को अब तोड़ो ।

51.

लिंग भेद से ना बढ़ाओ पुरुषों में अहंकार,

इक्कीसवी सदी में ना दोहराए यह बेतुका व्यवहार ।

52.

समाज में कंधे से कंधा मिलाकर चल रही नारी,

आधुनिक समाज ने भी क्यूं ना सोच बदली पुरानी ।

53.

नारी भी समानता स्वतंत्रता की अधिकारी,

पितृसत्तात्मक समाज कब तक रखेगा शोषण जारी।

54.

नारी की प्रगति को देख फिर भी नहीं हुआ अंदाजा,

वाह रे समाज ये कैसा छलावा ये कैसा दिखावा ।

55.

पितृसत्ता आखिर रहेगी कब तक,

समानता का अधिकार मिलेगा कब तक ।

56.

रस्मों रिवाजों के नाम पर कैद पसंद नहीं,

मगर न चाहते हुए भी बंधन सब निभा रही।

57.

पितृसत्ता बहुत जगह अब भी जिंदा है,

यही कारण कि अब भी नारीयां उत्पीड़न सह रही है ।

58.

रूढ़िवाद पितृसत्ता से हुई बहुत स्त्री आहत,

समाज की बेड़ियों को काटने की रखती चाहत ।

59.

अब तक कितनी आवाजों को दबाकर रखा था,

अबतक नारियों ने बहुत दर्द दबाकर रखा था ।

60.

समय के साथ रुढ़िवादी सोच बदलो,

पितृसत्तात्मक सोच को दफा करो ।

61.

नारियों के दर्द को सभी महसूस करो,

इंसानियत से उनको उनका हक दे दो ।

62.

नारियां भी दहाड़ दहाड़ कर बोलने लगी,

अपने हक के लिए अब आवाज उठाने लगी ।

63.

तजुर्बा जिंदगी का ना कडवा करो,

पितृसत्तात्मक सोच को दूर तुम रखो ।

64.

पितृसत्तात्मक सोच वालों को ये सोचना ही होगा,

स्त्री प्रतिद्वंद्वी नहीं अपितु सहयोगी ये जानना होगा ।

65.

पितृसत्तात्मक सोच से स्त्रियों को ना रोको,

वो कोई प्रतिद्वंद्वि नहीं उनको आगे बढ़ने दो ।

66.

स्वयम को भी आधुनिक सोच से समृद्ध बनाओ,

रोड़ा ना बनो स्त्रियों की प्रगति में उन्हें आगे बढ़ने दो ।

67.

प्रतिभाशाली स्त्रियों को ना दुपट्टे में बांधो,

परवाज़ भरकर उन्हें भी दुनिया मुट्ठी में करने दो ।

68.

खोल परों को उड़ने दो,

आसमाँ अपना बनाने दो ।

69.

सम्मान से उनको जीने दो,

समृद्ध उनको भी बनने दो ।

70.

पितृसत्तात्मक सोच महिलाओं को बड़ा आहत करती,

पितृसत्तात्मक सोच दो इंसानो के बीच भेदभाव करती ।

71.

दकियानूसी बेड़ियों को तोड़ दो,

 रुढ़िवादी जिद पर ना अड़े रहो।

72.

नारी अपने हक अस्तित्व के साथ पैदा हुई,

फिर अधिकार उसपर किस बात का भाई ।

73.

नारियां हम पढ लिखकर अस्तित्व और पहचान बनाए,

  नए दौर में पितृसत्ता की बेड़िया क्यों न दफनाए।

74.

तर्कशीलता, बुद्धिमता को ना ललकारो,

रुढ़िवादी विचारों से उनपर शक ना करो ।

75.

इंसान से इंसान का हक ना छिनो,

हर रिश्ते का हमेशा आदर सन्मान दो ।

उम्मीद करती हू पितृसत्ता पर शायरी का मेरा यह ब्लॉग आपको पसंद आया होगा।  patriarchy quotes इन हिंदी, तथा स्त्री पुरुष समानता पर शायरी भी पढ़कर आप प्रतिक्रियाएं दे सकते है और अपनी राय रख सकते हैं।