हरे पत्ते प्रकृति के नन्हे सिपाही और पेड़ों की शान होते है। अगर आप मानते है कि हरियाली में ही सब की खुशहाली होती है तो हरे पत्तों पर शायरी का यह ब्लॉग आपके लिए हैं।
हरे पत्तों पर शायरी ताजगी भरी 49 रचनाएं –
हरे पत्तों पर शायरी जो आपको हरा-भरा महसूस कर ताजगी प्रदान करेगी ।
1.
हरे पत्ते ग़र शाखाओं पर दिखते लहराते,
पेड़ भी बड़े गर्व से दिखते गाते, इठलाते ।
2.
पत्तों की सुंदरता फूलों से कम न आँको,
हिस्सा पत्तों का फूलों की सुन्दरता में है देखो ।
3.
पेड़ों पर लटके पत्ते छांव जब सबको देते हैं
हरे हरे पत्ते तभी हम सबको है भाते हैं।
4.
जिस पेड़ पर पत्ते ना दिखे लहराते,
वहां जाने से परिंदे भी है कतराते ।
5.
पत्ते देखकर कर लेते पंछी अपना बसेरा,
तिनकों से बना घर जो होता उनका सहारा ।
6.
माँ की गोद में जैसे चित शांत हो जाता है,
पत्तों की छांव में मन शीतल हो जाता है ।
7.
हरे पत्ते बड़े ही खुशकिस्मत होते,
औंस की बूंदे और हरा जो उन्हें बना देते ।
8.
पत्तों का हरा सौंदर्य देख मन हरित हो जाता है,
मुरझाए अंतर्मन को वो जिवित कर जाता है ।
9.
जैसे पेड़ एक पत्ते बेशुमार,
वैसे ही जीवन एक इच्छायें अपार ।
10.
हरे पत्ते सीखाते कर्म अपना करते जाना,
दुःखीयारों की छांव तुम सदा बनकर रहना ।
11.
शाखाओ से जुदा होकर पता ना रहता हरा,
जैसे अपनों से जुदा होकर जर्द पड़े, मुरझाए चेहरा ।
12.
जब जब हवा के झोंकों से टकराते पत्ते,
पेड़ से बाते करते और गीत भी गाते हो पत्ते ।
13.
हवा की सरसराहट के बीच से सारे पत्ते,
पेड़ की आवाज प्रकृति तक पहुंचाते रहते ।
14.
पेड़ों के संग जी जाते पत्ते,
पेड़ों के हमराज भी होते पत्ते ।
15.
तपते पर कभी ना छोड़ते हरियाली पत्ते,
क्यों ना हर मौसम मुस्कुराये हम भी पत्तों जैसे ।
16.
पौधों में हरियाली ही हरियाली लाते है पत्ते,
काँटे बनने की कोशिश कभी ना करते हैं पत्ते ।
17.
प्रकृति बड़ी निराली जिसकी देन से मिली हरियाली,
अपने रूप लावण्य से लाती हमारे जीवन में खुशहाली ।
18.
हर सू छाई रहे पत्तों से जब हरियाली,
धूप से बचाकर करे हमारे सेहत की रखवाली ।
19.
धूप की जलन से बचाए हरियाली की चादर हरी,
धरती की तपिश को केवल हरियाली समझ पाई ।
20.
हरे पत्तों की हरियाली सबको मोहित करती,
धरा फिर देवलोक से जरा कम नहीं लगती ।
21.
हरे पत्तों से ही दरख्तों की आन, बान, शान,
झुलसते लोगों को छांव देना इनका धर्म ईमान ।
22.
औंस की बूंदे हरे पत्ते पर लगते ऐसे,
किशोरी के गेसुओं से पानी टपके जैसे ।
23.
रात की सुनसान ख़ामोशियों के बीच,
क्या ख़ास सरगोशियाँ करते होंगे हरे पत्ते ।
24.
आँधी तूफ़ान जब पेड़ों से छिनते है पत्ते,
पेड़ भी चीखें बिना कभी क्या रह पाते ।
25.
औंस की बूंदे पत्तों पर करे जादू ऐसे,
चमका हो कोई जुगनू अँधेरे में जैसे ।
26.
जब जब पत्तों से छन के बारीश की बूंदे गिरती,
हर मन को मंत्रमुग्ध किये बिना कहां रह पाती ।
27.
पत्तों पर ठहरती जब जब बारीश की बूंदे,
हो जाती तब तब मुलाकात पत्तों की बूँदों से ।
28.
पत्तों से ही धरती पर जीवन चलता,
पत्तों से भरे पेड़ देश की शान कहलाते ।
29.
जरा सी चार बूंदे शबनम की जब हम पर गिरी,
इतराकर ख़ुद को कहा हमारी तों किस्मत संवरी ।
30.
शाखा से जब जब टूटकर गिरते हम,
आँखों से आँसू निकले बिना ना रहते हम ।
31.
दिन भर की तपन से मुरझाते ज़रूर हम,
पेड़ों से प्यार इसीलिए तपन से ना डरते हम ।
32.
शाम के समय पत्तों का सुकून से यूँ हिलना डोलना,
एक अलग सुकून देता है इनको यूँ ख़ुश ख़ुश देखना ।
33.
बरसों बाद भी सूखे पेड़ पर जो निकले कोमल पत्ता,
शाखा कोपलों से कहती तुम्हारे आने से मिला जीवन नया ।
34.
हवा जब पेड़ों से तोड़कर ले जाती पत्ता,
शाखा भी रोकर कहती हाय मेरा प्यारा पत्ता ।
35.
पेड़ रहे हमेशा हरे पत्तों से भरे भरे,,
पत्ते भी सदा यही दुआ किया करे ।
36.
पत्ते जब होते हरे तब देते हमे छाया,
सूखने पर बिखर जाता अस्तित्व इनका ।
37.
टहनी से जुड़ी ज़िंदगी इनकी,
कोंपल से लेकर जर्द होने तक ।
38.
जब जब सावन का महीना आता है,
हरे पत्तों का रंग और भी निखर जाता है ।
39.
जब बारीश की बूंदे हरे पत्तों पर पड़ती,
नवयौवना सा हर पत्ता निखरने लगता ।
40.
पत्ते पहले हरे होते है फिर सुख जाते हैं,
दोनों ही डाल के महत्वपूर्ण हिस्से होते हैं ।
41.
हरे पत्तों से हर तरफ दिखे हरियाली,
इसीसे प्रकृति की शान होती निराली ।
42.
हरे पत्तों से दिखती पेड़ों की खुशहाली,
बिना उसके हर डाली लागे खाली खाली ।
43.
जब सबसे बड़ा त्योहार दिवाली आता,
हरे पत्तों से बना तोरण घर को सजाता ।
44.
हरे पत्तों से पूछो बिछड़ जाने का दर्द,
जब ये शाख से टूटकर जमीन पर गिरता ।
45.
परिंदे भी करते वही रैन बसेरा,
जहाँ. पेड़ों पर होता हरे पत्तों का डेरा ।
46.
ना कल की चिंता ना कोई फ़िक्र,
अपनी धुन में जीवन जीना सीखाते पत्ते।
47.
हरे पत्ते ज़न ज़न की तपिश भगाते,
पत्ते मुसाफिरों को छांव के लिए बुलाते ।
48.
हरि कोमल पत्तियों को धूप भी ना भस्म करती,
सुबह शाम बिना डरे पत्तियाँ तपन को झेलती ।
49.
हरे पत्ते पर जब देखी गिरी ओस की बूंदे,
भिगो गई अंतर्मन को रह गई मैं तो आँखे मूँदे ।
उम्मीद है हरे पत्तों पर शायरी का यह ब्लॉग आपको पसंद आया होगा।
Hi! I’m Jayshree! I am the Founder of ‘Poesy Ville’. I am a Poetess dedicated to creating rhymes on a daily basis – on the internet and in life.