सामाजिक परिवर्तन पर सुविचार लिखने का प्रयास मेरे लिए बड़े गर्व की बात है। इसके द्वारा समाज में आवश्यक बदलाव लाने की कोशिश कर सकते है। बदलते परिवेश में हम सब चेंज चाहते है।
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सामाजिक परिवर्तन पर सुविचार 41 बेहतरीन बोल-
सामाजिक बदलाव लाने के लिए महत्वपूर्ण प्रयास सरकार, समाज, बुद्धिजीवी, आम इंसान की तरफ से सतत किए जाते हैं और किए जाने चाहिए |सोसाइटी की प्रगति के लिए बहुत जरूरी है |
यदि आपको सामजिक परिवर्तन बेहद अहम विषय लगता है तो यह ब्लॉग आपके लिए है |
1.
दहेज की खातिर बिक जाती है पिता की चमड़ी तक,
दहेज की खातिर बैठ जाते दूल्हे भी बाजार मंडी तक ।
2.
खून पसीने की कमाई से हर पिता दहेज जुटाता,
बेटी संग पिता भी फिर दहेज की बलि चढ जाता ।
3.
अब तक रह गई अनसुनी सी दहेज की प्रथा,
सुनी ना गई कभी बेटी ना पिता की कोई व्यथा ।
4.
दहेज के नाम जिंदा जला या जिंदा दफना दिया जाता है,
मासूमों की व्यथा कोई कहा सुन पाता या भाप पाता हैं ।
5.
नाजुक कलियों पर पड़ती दहेज की बेतहाशा मार,
लक्ष्मी का दर्जा देकर भी किया जाता बेटियों को शिकार ।
6.
प्रथा के नाम पर चल रही सालो साल कैसी कुप्रथा,
दहेज के नाम पर ना सुनी गई कभी बेटियों की व्यथा ।
7.
अब तक कोई ना समझा लालच की ये लत,
दहेज देना या लेना दोनों ही प्रकार है गलत ।
8.
दहेज हमेशा माँ बाप से बच्चियों को छिनता आया है,
दहेज बहुत बड़ा अभिशाप ये कोई क्यों न समझता है ।
9.
कुछ लालची लड़के वाले दहेज के नाम भीख मांगते,
लड़की और उसके परिवार वालों का सुख चैन छिनते ।
10.
दहेज लेना या देना होता क्या सचमुच जरूरी,
हम सभी को गम्भीरता से लेने की आयी अब बारी ।
11.
बेटी, माँ, बहन, बहू से समाज बनता,
फिर बेटियों को गर्भ में क्यू मारा जाता ।
12.
भ्रुण हत्या से बड़ा पाप ना अधर्म कोई,
ना जाने य़ह पाप कैसे कर सकता कोई ।
13.
मासूम बेटियों के शत्रु कभी ना बनो,
भ्रुण हत्या सबसे बड़ा अपराध शर्म करो ।
14.
भ्रुण हत्या ना रुकी तो हो जाएगा सृष्टि का अंत,
समय रहते रुको नहीं तो ना बचेगा कोई विकल्प ।
15.
बिना किसी अपराध के क्यूँ मिलता गर्भ में दंड,
बेटियों को आने दो दुनिया में ना देना इनको दंड ।
16.
बेटियों को ना करने दो गर्भ में क्रंदन,
मत करो जन्म के अधिकार का हनन ।
17.
कुलदीपक के खातिर ना उजाडो कोख में नवजीवन,
वंश की अभिलाषा में ना उजाडो कोई अब उपवन ।
18.
लिंग भेद को बढावा देकर करते निर्ममता से हत्या,
आधुनिक समाज को भी बेटी नहीं बेटा ही क्यूँ भाता ।
19.
आज इन्सानियत क्यूँ गिर गई शर्मसार भी कर रही,
दुनियां में आने का क्या किसी को अधिकार नहीं ।
20.
गर्भ से करती होगी गुहार बेटियाँ जब गर्भ में मारी जाती होगी,
सोचो, भाइयों की कलाईया सुनी और बेटों को बहुएं कैसे आयेगी ।
21.
चारो ओर भ्रष्टाचार का बोलबाला और जोर शोर,
पिसती मासूम जनता मिलते हर ओर रिश्वतखोर ।
22.
नेता, अफसर ओहदेदार, भ्रष्टाचारी करते अपनी मनमानी,
पिसती जनता, देश भी रोता पर कम ना होती इनकी मनमानी ।
23.
रिश्वतखोर हर मोड़ हर राह पर मिल जाएंगे हम को खड़े,
लोकतंत्र का परिहास उड़ाकर रिश्वतखोरी करनेे डटकर अड़े ।
24.
भ्रष्टाचार देखकर लगता यही क्या आदत बन जाएगी रिश्वतखोरी,
इसका बोलबाला इतना की मुश्किल से बच पाएगी ईमानदारी ।
25.
भ्रष्टाचार की ना सीमा ना कोई सीमित समय,
गम्भीर रोग समझकर उठाने होंगे ठोस कदम ।
26.
भ्रष्टाचार से लिप्त हो चुकी आजकल दुनिया सारी,
भ्रष्ट और घूसखोरी के बीच पिसती हमेशा इमानदारी ।
27.
भ्रष्टाचार का रोग ना बन जाए गम्भीर महामारी,
धीरे-धीरे दुनिया को ना ले यह अपने गिरफ्त में सारी ।
28.
झटपट सबकुछ पा लेने की हसरत,
बढा देती है भ्रष्टाचार की अहमियत ।
29.
अपने अंदर का इंसान मारकर बनते भ्रष्ट, दुराचारी,
निकलते कामपर बनकर रिश्वतखोर और भ्रष्टाचारी ।
30.
भ्रष्टाचार खत्म करने का एक ही रास्ता,
न रिश्वत से न रिश्वतखोरो से रखेंगे वास्ता ।
31.
बाल मजदूरी के खिलाफ बने बड़े सख्त कानून,
दिखता मगर आज सिर्फ किताबों में यह कानून ।
32.
बाल मजदूरी के खिलाफ बड़े बड़े नेता भाषण देते दिखते ,
फिर भी बाल मजदूरी के लाखो किस्से अखबारो में छपते ।
33.
पढ़ने लिखने की उम्र में मासूमों से बाल मजदूरी करते देखा,
परिंदों की तरह आजादी की उम्र में पल पल मरते देखा ।
34.
बचपन को मिला हुआ है शिक्षा का अधिकार,
बाल मजदूरी करवाकर नहीं कर सकते अत्याचार ।
35.
जिम्मेदारी हम सब की बचपन को ना करे मजबूर,
आओ चले ले यह प्रण न देखेंगे हम बाल मजदूर ।
36.
बड़ा कर देती वक़्त से पहले ही बाल मजदूरी,
गुनाह यह फिर किसने दी सजा में बाल मजदूरी ।
37.
छोटी उम्र में बोझ से बड़ा ना मासूमों को बनाना,
छुड़ाकर पढ़ाई, कमाई ना इनसे कभी करवाना ।
38.
शिक्षा अनिवार्य का मंत्र धरा का धरा रह गया दिखता,
जब भी भोला गरीब बच्चा बाल मजदूर बना दिखता ।
39.
बाल मजदूरी के दुष्परिणाम भी खुलकर दिखते,
खिलते बचपन के उज्वल भविष्य को अंधकार देते ।
40.
शिक्षा के अधिकार से बचपन को पढ़ने लिखने दो,
फावड़ा कुदाल हाथों में देकर मजदूरी न इनसे करवाओ ।
41.
ना छिनना मासूमों से उनका भोला भाला बचपन,
नाजुक कंधों पर बोझ न देखे आओ करे सब प्रण ।
आशा करती हूं आपके लिए लिखे गए मेरे सामाजिक बदलाव पर सुविचार प्रेरणादायक लगे होगे। सामाजिक परिवर्तन पर quotes भी पढ़कर social media में शेयर कर सकते हैं । मूल्यवान प्रतिक्रिया और टिप्पणियों का इंतजार रहेगा ।
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